श्री राम जी और हनुमान जी के लिए कुछ सुंदर और प्रसिद्ध सखियां (दोहे या श्लोक) हैं जो उनकी भक्ति, संबंध और गुणों का वर्णन करती हैं। यहाँ कुछ बेहतरीन सखियां दी गई हैं:
श्रीरामचरितमानस से: “राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम। पाय परों कर जोड़ि मनाऊं, यह अवसर कछु दान सुहाऊं।” (अर्थ: हनुमान जी कहते हैं कि जब तक मैं श्री राम के कार्य नहीं कर लेता, मुझे विश्राम कैसे मिलेगा। मैं उनके चरणों में सिर झुकाकर उनके कार्य को पूर्ण करता हूँ।)
हनुमान जी के श्री राम के प्रति असीम भक्ति का दोहा: “प्रभु चरित सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।” (अर्थ: हनुमान जी प्रभु राम के चरित्र को सुनने के रसिक हैं, और श्री राम, लक्ष्मण और सीता के हृदय में वास करते हैं।)
साखी जो राम-हनुमान के अटूट संबंध को दर्शाती है: “राम नाम बड़ बड़ो पुकारी, जीवनु सफल भयो हनुमाना। राम के द्वार सदा सुखकारी, कोटिनु के सुख हनुमत जाना।” (अर्थ: हनुमान जी ने बार-बार श्री राम के नाम का जप करके अपना जीवन सफल किया। श्री राम के द्वार पर रहने से असीम सुख और आनंद प्राप्त होता है।)
हनुमान जी की सेवा भावना पर आधारित: “सेवक हनुमान प्रभु राम के, तजि सब अभिमान वन्दे काम के। लंका को जारि लियो जानकी को, राम काजु करु करु हर्ष मान के।” (अर्थ: हनुमान जी श्री राम के सेवक हैं, जिन्होंने अभिमान त्याग कर श्री राम के कार्य को करने के लिए अपने सारे कष्टों को सहर्ष स्वीकार किया और जानकी माता को लंका से छुड़ाया।)
एक और सुंदर साखी जो राम और हनुमान के बीच की स्नेहपूर्ण भक्ति को दर्शाती है: “राम सनेह हिय हनुमान, अचल अडोल सदा सुखमान। सीस धरत प्रभु कर पन मानी, हनुमान कहू बिन राम न जानी।” (अर्थ: हनुमान जी का हृदय श्री राम के प्रेम से सदा स्थिर और आनंदमय है। हनुमान जी के बिना राम जी को कोई नहीं जान सकता।)
यह सखियां हनुमान जी की राम के प्रति अटूट भक्ति और सेवाभाव को उजागर करती हैं, और उनके बीच का अद्भुत प्रेम और स्नेह दर्शाती हैं।